Summary
जयपुर के पास कालाडेरा औद्योगिक क्षेत्र में एक प्लाईवुड फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग में पूरा कच्चा और तैयार माल जलकर खाक हो गया। जानिए पूरी खबर।
कालाडेरा में प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी भीषण आग, लाखों का नुकसान – जांच में जुटा प्रशासन
जयपुर (राजस्थान)। प्रदेश की राजधानी जयपुर से सटे कालाडेरा औद्योगिक क्षेत्र में बुधवार देर रात एक बड़ी घटना सामने आई। यहां स्थित एक प्लाईवुड फैक्ट्री में अचानक आग लग गई, जिसने कुछ ही पलों में पूरी फैक्ट्री को अपनी चपेट में ले लिया। आग की भयावहता इतनी ज्यादा थी कि अंदर रखा सारा कच्चा और तैयार माल जलकर राख हो गया।
आग ने मचाया कहर, इलाके में अफरा-तफरी
घटना कालाडेरा के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित श्याम इंडस्ट्रीज नामक एक फैक्ट्री में घटित हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात करीब 11 बजे फैक्ट्री से धुआं उठता दिखाई दिया, जिससे आस-पास रहने वाले लोग घबरा गए और तुरंत पुलिस व दमकल विभाग को सूचना दी। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया और पूरे परिसर को घेर लिया।
दमकल विभाग की तत्परता से टला बड़ा हादसा
सूचना मिलते ही जयपुर नगर निगम के दमकलकर्मी तुरंत मौके पर पहुंचे। कालाडेरा, बगरू और चौमूं से करीब 8 दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। दमकल विभाग की टीमों ने पूरी रात आग पर काबू पाने के लिए मशक्कत की। लगातार पानी की बौछार और फोम का उपयोग कर कई घंटों बाद आग को बुझाया गया।
अगर दमकल कर्मी समय पर नहीं पहुंचते तो आग आस-पास की अन्य फैक्ट्रियों में भी फैल सकती थी, जिससे बड़ा औद्योगिक नुकसान हो सकता था।
आग का कारण बना रहस्य, जांच जारी
पुलिस अधिकारियों और फायर विभाग की प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट या इलेक्ट्रिकल फॉल्ट माना जा रहा है, लेकिन वास्तविक कारणों की पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी। फैक्ट्री में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन आर्थिक नुकसान का आंकलन लाखों रुपये में किया जा रहा है।
ज्वलनशील सामग्री बनी आग के फैलने का कारण
फैक्ट्री में लकड़ी, प्लाईवुड, केमिकल्स और थिनर्स जैसी ज्वलनशील सामग्री बड़ी मात्रा में मौजूद थी, जिसने आग को तेजी से फैलाने में मदद की। गीले मौसम के बावजूद आग की लपटें इतनी भयंकर थीं कि आसमान तक धुआं फैल गया। इसके चलते कई किलोमीटर दूर से भी धुएं के बादल नजर आए।
प्रशासन सतर्क, अग्निशमन मानकों की समीक्षा
घटना के बाद जयपुर जिला प्रशासन और उद्योग विभाग ने फैक्ट्रियों में सुरक्षा मानकों की जांच के आदेश दिए हैं। कालाडेरा औद्योगिक क्षेत्र में करीब 200 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, जिनमें बड़ी संख्या में प्लाईवुड, टेक्सटाइल, कैमिकल और फूड इंडस्ट्रीज कार्यरत हैं। प्रशासन द्वारा सभी इकाइयों से अग्निशमन उपकरणों की जांच रिपोर्ट मांगी गई है।
फैक्ट्री संचालक का बयान
फैक्ट्री संचालक का कहना है कि आग लगने से उनका पूरा स्टॉक और मशीनरी जलकर खाक हो गई। “हमारी कई महीने की मेहनत पल भर में राख हो गई। हमने सुरक्षा उपकरण तो लगाए थे, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ भी संभालने का मौका नहीं मिला,” उन्होंने बताया।
स्थानीय लोगों में डर और चिंता
घटना के बाद स्थानीय लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि औद्योगिक क्षेत्रों में सख्त अग्निशमन व्यवस्था लागू की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके। साथ ही फैक्ट्री मालिकों से भी आग्रह किया गया कि वे अग्निशमन उपकरण समय-समय पर जांचें और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दें।
आग से हुए नुकसान का विस्तृत ब्यौरा
आग से फैक्ट्री में रखा गया तैयार माल, कच्चा माल, मशीनें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और ऑफिस रिकॉर्ड पूरी तरह नष्ट हो गया। अनुमानित रूप से यह नुकसान 80 लाख से 1 करोड़ रुपये तक हो सकता है। हालांकि अभी बीमा कंपनी द्वारा मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
औद्योगिक सुरक्षा पर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर से औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े करती है। कई फैक्ट्रियों में फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर, ऑटोमेटिक वाटर स्प्रिंकलर जैसे जरूरी उपकरण या तो लगाए नहीं जाते या फिर काम नहीं कर रहे होते। प्रशासन द्वारा की जाने वाली नियमित सुरक्षा जांच केवल कागजों तक ही सीमित रह जाती है।
आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना जरूरी
राजस्थान में बीते 6 महीनों में कई औद्योगिक इकाइयों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें करोड़ों का नुकसान हो चुका है। कालाडेरा की घटना भी इसी श्रृंखला में एक गंभीर चेतावनी है कि अब सरकार और उद्योग जगत को जागरूक होकर गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है।
आग जैसी आपदाओं से बचाव के लिए सुझाव
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फैक्ट्री परिसर में अग्निशमन यंत्रों की समय-समय पर जांच होनी चाहिए।
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कर्मचारियों को फायर सेफ्टी ट्रेनिंग दी जाए।
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इलेक्ट्रिकल वायरिंग की जांच हर 6 महीने में करवाई जाए।
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CCTV और ऑटोमेटेड अलार्म सिस्टम लगाया जाए।
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अग्निशमन विभाग द्वारा साल में दो बार ड्रिल करवाई जाए।