भारत सरकार ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद में पारित किया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब यह कानून बन गया है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
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वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों का समावेश: इस संशोधन के तहत, वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा, जिसका उद्देश्य प्रबंधन में विविधता और पारदर्शिता बढ़ाना है।
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सरकारी निरीक्षण का विस्तार: सरकार को वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व विवादों में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है, जिससे प्रबंधन में सुधार और भ्रष्टाचार में कमी की उम्मीद है।

समर्थकों का दृष्टिकोण:
विधेयक के समर्थकों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कदम संपत्तियों के बेहतर उपयोग और संरक्षण में मदद करेगा।
विरोधियों की चिंताएं:
हालांकि, कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है। उन्होंने इसे ‘काला कानून’ करार देते हुए न्यायालय में चुनौती देने और राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
निष्कर्ष:
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के पारित होने के साथ ही इसके समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस तेज हो गई है। जहां सरकार इसे प्रबंधन सुधार की दिशा में कदम मानती है, वहीं आलोचकों को इसमें मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के हनन की आशंका है। आने वाले समय में इस कानून के प्रभाव और इसके खिलाफ उठने वाले कदमों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।
मेटा विवरण: वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025: प्रमुख प्रावधान, समर्थन और विरोध की विस्तृत जानकारी।
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