Summary
राजस्थान में तेज़ गर्मी के हालात पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को लगाई फटकार। हीट एक्शन प्लान लागू करने और आमजन को राहत देने के दिए निर्देश। जानिए पूरा मामला।
राजस्थान में भीषण गर्मी पर हाईकोर्ट सख्त | सरकार को फटकार और राहत के आदेश | 2025 न्यूज़ अपडेट
राजस्थान में भीषण गर्मी का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। अप्रैल के महीने में ही तापमान कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुँच चुका है। इस तपती धूप और लू के थपेड़ों के बीच आमजन का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। लोग जरूरी कामों को भी टाल रहे हैं और घरों में कैद रहने को मजबूर हो रहे हैं। इस विकट परिस्थिति को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है और कड़े निर्देश जारी किए हैं।
क्यों नाराज हुआ हाईकोर्ट?
हाईकोर्ट ने यह माना कि इतनी भीषण गर्मी में भी सरकार की ओर से आमजन की सुरक्षा और राहत के लिए कोई व्यवस्थित इंतज़ाम नहीं किए गए हैं। न्यायमूर्ति अनुप कुमार ढांड की एकल पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार नागरिकों के जीवन की रक्षा करने में असफल रही है।
हीट एक्शन प्लान, जो कि जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत तैयार किया गया था, आज तक प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने अब तक लू से बचाव के लिए कोई विस्तृत गाइडलाइन या चेतावनी जारी नहीं की, जो सीधे तौर पर जनता की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है।
राजस्थान में गर्मी का मौजूदा हाल
राजस्थान के जयपुर, चूरू, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर समेत कई शहरों में तापमान 44-46 डिग्री तक पहुँच चुका है। लू और तेज गर्म हवाओं के कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, रिक्शा चालक और दिहाड़ी पर काम करने वाले लोगों की हालत सबसे ज्यादा खराब है।
स्कूलों के बच्चे, बुज़ुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग खास तौर पर इस गर्मी से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टर लगातार हाइड्रेशन बनाए रखने और धूप में बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं।
सरकार की विफलता की पोल खोली कोर्ट ने
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सरकार बड़े-बड़े आयोजनों, पुरस्कार समारोहों और राजनीतिक कार्यक्रमों में करोड़ों रुपये खर्च कर सकती है, लेकिन जनता के जीवन की रक्षा के लिए बुनियादी सुविधाएं देने में असफल है। कोर्ट ने यह भी बताया कि न तो सड़कों पर पानी का छिड़काव किया गया है और न ही ट्रैफिक सिग्नलों या भीड़भाड़ वाले इलाकों में छाया और पानी की व्यवस्था की गई है।
ओआरएस के पैकेट, आम पन्ना, शर्बत, या पानी की बोतलों जैसे छोटे-छोटे राहत साधनों की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यहाँ तक कि पक्षियों और जानवरों के लिए भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई है।
कोर्ट ने क्या दिए निर्देश?
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस गंभीर स्थिति को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वे सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर एक समन्वय समिति (Coordination Committee) का गठन करें। यह समिति राज्यभर में गर्मी से निपटने के लिए व्यावहारिक और प्रभावी कार्य योजना बनाए।
हीट एक्शन प्लान को तत्परता से लागू करने, जनजागरूकता अभियान चलाने, स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने और राहत केंद्र स्थापित करने जैसे उपाय तुरंत किए जाएं। साथ ही पेयजल आपूर्ति, बिजली की निर्बाध सेवा और पब्लिक प्लेस में कूलिंग ज़ोन जैसी सुविधाओं को बढ़ाने का आदेश दिया गया है।
क्या हो सकते हैं समाधान?
हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार को अब चाहिए कि वो तत्काल ऐसे कदम उठाए जिससे आमजन को राहत मिल सके:
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सार्वजनिक स्थानों पर वाटर कूलर और प्याऊ की व्यवस्था।
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हर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र पर हीट स्ट्रोक वार्ड।
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नगर निगम द्वारा सड़कों पर पानी का छिड़काव।
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रिक्शा चालकों, मजदूरों और फुटपाथ पर काम करने वालों को मुफ्त ओआरएस और पानी।
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जानवरों और पक्षियों के लिए पानी के बर्तन सार्वजनिक स्थलों पर रखवाना।
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सूरज की किरणों से बचाने के लिए बस स्टॉप, चौराहों और बाजारों में छांव की व्यवस्था।
सामाजिक संस्थाएं भी आगे आएं
सरकारी प्रयासों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों, समाजसेवी संस्थाओं और स्थानीय स्वयंसेवकों को भी इस मुहिम में योगदान देना चाहिए। आमजन के बीच गर्मी से बचाव के तरीके, हाइड्रेशन का महत्व, और आपातकालीन लक्षणों की जानकारी प्रसारित की जानी चाहिए।
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निष्कर्ष
राजस्थान जैसे रेगिस्तानी राज्य में गर्मी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब हालात आम जनजीवन को प्रभावित करने लगें और मौत तक की नौबत आने लगे, तब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह तत्परता से कदम उठाए। हाईकोर्ट की सख्ती इसी जिम्मेदारी की याद दिलाती है। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार इस दिशा में कितनी गंभीरता से कार्य करती है और आमजन को कितनी राहत मिल पाती है।