A- A+ A++
[gtranslate]

राजस्थान का तपता चूरू: अप्रैल में ही 45 डिग्री तापमान, बाजार वीरान और लोग परेशान

Summary

राजस्थान के चूरू जिले में अप्रैल में ही तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है। जानें कैसे बढ़ रही गर्मी आमजन की दिनचर्या को प्रभावित कर रही है।

चूरू में अप्रैल में ही 45 डिग्री तापमान: गर्मी से बेहाल जनजीवन | Churu Weather 2025

राजस्थान का चूरू जिला हर साल गर्मियों में सुर्खियों में रहता है। सर्दियों में जहां यहां तापमान माइनस में चला जाता है, वहीं गर्मियों में चूरू का पारा 50 डिग्री तक पहुंच जाना आम बात है। अप्रैल 2025 में ही यहां का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सड़कों पर सन्नाटा है, बाजारों में रौनक गायब है और आमजन घरों में कैद हो गए हैं।


🌡️ भीषण गर्मी का कहर: 10 बजे से ही तपिश का प्रकोप

चूरू में अप्रैल की शुरुआत से ही तेज़ गर्म हवाओं ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है। सुबह 10 बजे के बाद से ही धूप की तपिश बर्दाश्त के बाहर हो जाती है। दोपहर होते-होते सड़कों पर मानो सूरज की आग बरसने लगती है। लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मामलों में इज़ाफा हो रहा है, और डॉक्टर लगातार लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।


🏘️ बाजारों में पसरा सन्नाटा, दुकानदार दोपहर में बंद कर रहे दुकानें

जहां पहले चूरू के बाजारों में सुबह से देर रात तक ग्राहकों की चहल-पहल रहती थी, अब वहां सन्नाटा पसरा है। अधिकतर दुकानदार दोपहर में दुकानें बंद कर घर चले जाते हैं। ग्राहक भी केवल सुबह या देर शाम को ही बाजारों में दिखाई देते हैं। गर्मी का प्रभाव केवल इंसानों पर नहीं, बल्कि जानवरों और पक्षियों पर भी साफ देखा जा सकता है। जल स्रोतों के सूखने से पशु-पक्षी भी पानी की तलाश में भटक रहे हैं।


🏜️ चूरू की भौगोलिक स्थिति: गर्मी की जड़ में मरुस्थलीय क्षेत्र

चूरू की भौगोलिक स्थिति भी इसकी गर्मी का एक बड़ा कारण है। यह जिला थार मरुस्थल के किनारे बसा हुआ है, जहां की मिट्टी रेतीली है। जैसे ही सूरज की किरणें पड़ती हैं, रेत तेजी से गर्म हो जाती है, जिससे वातावरण का तापमान बढ़ जाता है। इसके अलावा:

  • नमी की कमी: यहां की भूमि बंजर है और हरियाली न के बराबर है।

  • जलाशयों की कमी: पानी के स्रोत सीमित हैं, जिससे गर्मी में राहत नहीं मिल पाती।

  • सीधी धूप का प्रभाव: चूरू जिस अक्षांश (latitude) पर स्थित है, वहां बादल बहुत कम बनते हैं, जिससे सूरज की सीधी किरणें धरती पर पड़ती हैं।


🧒 आमजन की दिनचर्या में बदलाव: घर में रहना बना बेहतर विकल्प

गर्मी से बचने के लिए लोग अब सुबह जल्दी उठकर जरूरी काम निपटा रहे हैं। अधिकतर लोग दोपहर के समय घर में ही रहना पसंद कर रहे हैं। दफ्तरों में भी हाजिरी पर असर पड़ा है। स्कूलों में प्रार्थना सभा बंद कर दी गई है और खेल गतिविधियां रोकी जा रही हैं।


🧓 बुजुर्गों और बच्चों के लिए बड़ी चुनौती

तेज गर्मी से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शरीर का तापमान नियंत्रित रखना इस मौसम में सबसे जरूरी है। तेज धूप में निकलने से पहले पूरी तैयारी और सुरक्षा होनी चाहिए। शारीरिक मेहनत करने वालों को भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि हीट स्ट्रोक जानलेवा साबित हो सकता है।


💧 पानी की किल्लत बढ़ी, टैंकरों पर निर्भरता

तेज गर्मी के कारण जल स्रोतों का सूखना शुरू हो गया है। गांवों में हैंडपंप और कुएं भी सूखने लगे हैं, जिससे लोगों को पानी के लिए दूर-दूर भटकना पड़ रहा है। कई गांवों में सरकारी टैंकरों से जल आपूर्ति की जा रही है। जलदाय विभाग की ओर से दावा किया जा रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन गांवों से लगातार पानी की किल्लत की खबरें आ रही हैं।


🌳 हरियाली की कमी और पेड़-पौधों का संकट

चूरू जिले में हरियाली बहुत कम है, जिससे शीतल छाया या प्राकृतिक ठंडक नहीं मिल पाती। अगर शहर और गांवों में पर्याप्त मात्रा में पेड़ लगे होते तो गर्मी का असर कम महसूस होता। अब भी समय है कि नगर परिषद और ग्रामीण पंचायतें वृक्षारोपण अभियान चलाएं, ताकि आने वाले वर्षों में राहत मिल सके।


🛑 गर्मी से बचने के उपाय: प्रशासन और विशेषज्ञों की सलाह

स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की ओर से लोगों को लगातार चेतावनी दी जा रही है। नीचे कुछ जरूरी उपाय दिए जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर गर्मी के प्रकोप से बचा जा सकता है:

  1. धूप में निकलने से बचें, खासकर दोपहर 12 से 3 बजे तक।

  2. ढीले-ढाले और हल्के रंग के कपड़े पहनें।

  3. भरपूर पानी पिएं, चाहे प्यास न भी लगे।

  4. गर्म स्थानों पर अकेले बच्चों और बुजुर्गों को न छोड़ें।

  5. ओआरएस, नींबू पानी और छाछ का सेवन करें।

  6. पैदल चलने या मेहनत वाले कामों से बचें।


🗓️ अप्रैल में 45 डिग्री, मई-जून की गर्मी की कल्पना डरावनी

अप्रैल के महीने में ही जब पारा 45 डिग्री को छू रहा है, तो मई और जून में स्थिति और भी भयानक हो सकती है। जून में लू चलने की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं, जो इंसान के शरीर के तापमान को असंतुलित कर देती हैं। इसलिए अभी से सावधान रहना और तैयार रहना जरूरी है।


निष्कर्ष: चूरू में बढ़ती गर्मी चेतावनी है, तैयारी की जरूरत है

चूरू की गर्मी हर साल एक चेतावनी बनकर सामने आती है – चाहे वो प्रकृति के लिए हो या प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों के लिए। जल संकट, हरियाली की कमी और बढ़ते तापमान को देखते हुए यह समय है कि हम सब मिलकर स्थायी समाधान की ओर बढ़ें। चाहे वृक्षारोपण हो, जल संरक्षण या जनजागरूकता अभियान – ये सब जरूरी हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इस भीषण गर्मी से कुछ राहत मिल सके।

ऐप डाउनलोड
Android

Android

iOS

IOS