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“9% हिंदू वोटर” का रहस्य: मिथुन चक्रवर्ती को क्यों दिख रही है बंगाल में सत्ता परिवर्तन की चाबी?

Summary

BJP नेता मिथुन चक्रवर्ती का मानना है कि बंगाल में ममता सरकार को हटाने के लिए 9% निष्क्रिय हिंदू वोटर्स को एक्टिव होना होगा। जानिए वोट गणित और राजनीति पर असर।

9% हिंदू वोटर ही हैं बंगाल में सत्ता परिवर्तन की चाबी? मिथुन चक्रवर्ती का बड़ा दावा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि अगर ममता बनर्जी की सरकार को सत्ता से हटाना है तो राज्य के 9% हिंदू मतदाताओं को घर से बाहर निकलकर वोट डालना होगा। मिथुन का मानना है कि यही वो वर्ग है जो रामराज्य की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

🎯 आखिर कौन हैं ये 9% हिंदू वोटर?

मिथुन चक्रवर्ती जिस 9% वोटर की बात कर रहे हैं, वे ऐसे मतदाता हैं जो आमतौर पर चुनावों में हिस्सा नहीं लेते। ये वो लोग हैं जो अक्सर मतदान के दिन घरों में ही रहते हैं। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी हाल ही में इस वर्ग पर ध्यान दिलाते हुए कहा था कि पिछले चुनाव में लगभग 10% हिंदू वोटर वोट डालने नहीं पहुंचे थे। ऐसे में यदि ये वर्ग इस बार सक्रिय हो जाए, तो राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।

🧮 9% वोट का गणित क्या कहता है?

2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 48.5% वोट शेयर के साथ 213 सीटें जीती थीं, जबकि BJP को 38.5% वोट मिले और वह 77 सीटों पर सिमट गई। अब बीजेपी का मानना है कि अगर वोट नहीं डालने वाला 9% हिंदू वर्ग उनके पक्ष में मतदान करता, तो यह अंतर काफी कम हो सकता था, और सत्ता परिवर्तन की संभावना बन सकती थी।

🚩 क्यों है इस बार BJP ज़्यादा एक्टिव?

BJP ने इस बार बूथ-स्तर पर अपनी रणनीति को और मजबूत किया है। पार्टी के नेता सुवेंदु अधिकारी राज्य भर में ‘सनातनी एकजुटता रैली’ कर रहे हैं, जहां हिंदू वोटरों को एकजुट होकर मतदान करने की अपील की जा रही है। वहीं, मिथुन चक्रवर्ती भी लोगों से वोट डालने और बीजेपी को समर्थन देने की अपील कर रहे हैं। पार्टी की रणनीति साफ है—हर वोट को गिनती में लाना और पिछली बार के वोट गैप को खत्म करना।

🗳️ क्या होगा असर?

BJP की इस रणनीति से पश्चिम बंगाल के चुनावी समीकरणों पर गहरा असर पड़ सकता है। अगर निष्क्रिय हिंदू वोटर वर्ग इस बार सक्रिय होता है और भाजपा को वोट करता है, तो ममता बनर्जी की सरकार को कड़ी टक्कर मिल सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुहिम का कितना असर मतदान और सीटों के आंकड़ों पर पड़ता है।

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