Summary
PNB घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया। जानिए कैसे सात साल की मेहनत और ED-CBI की रणनीति ने इस भगोड़े हीरा कारोबारी को पकड़ा। जानें प्रत्यर्पण की पूरी प्रक्रिया और ताज़ा अपडेट।
मेहुल चोकसी कौन है?
मेहुल चोकसी भारत के जाने-माने हीरा कारोबारी थे, जो गीतांजलि जेम्स लिमिटेड और गीतांजलि ग्रुप के मालिक थे। यह वही व्यक्ति है, जिस पर अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में ₹12,636 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का गंभीर आरोप है। यह घोटाला साल 2018 में सामने आया था, जब देशभर में बैंकों की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठने लगे।

देश छोड़कर भागने की कहानी
जैसे ही यह घोटाला उजागर हुआ, मेहुल चोकसी भारत छोड़कर एंटीगुआ भाग गया। वहां उसने निवेश नागरिकता कार्यक्रम (Citizenship by Investment Program) के तहत एंटीगुआ की नागरिकता ले ली और भारत के कानून से बचता रहा।
पहले डोमिनिकन गणराज्य में गिरफ्तारी
साल 2021 में पहली बार मेहुल चोकसी को डोमिनिकन गणराज्य में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस समय भी भारत ने उसे प्रत्यर्पित कराने की पूरी कोशिश की थी। हालांकि, मेहुल के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी थी कि वह बीमार है और इलाज के लिए एंटीगुआ लौटना चाहता है। 51 दिन की हिरासत के बाद, ब्रिटिश क्वीन की प्रिवी काउंसिल से राहत मिलने पर उसे छोड़ दिया गया और वह वापस एंटीगुआ चला गया।
भारतीय एजेंसियों की रणनीति
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान CBI और ED ने लगातार मेहुल चोकसी पर नजर बनाए रखी। दोनों एजेंसियों ने इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर उसकी लोकेशन ट्रैक की। लंबे समय तक निगरानी के बाद पिछले साल एजेंसियों को यह इनपुट मिला कि वह बेल्जियम में छुपा है।
बेल्जियम में गिरफ्तारी
12 अप्रैल 2025 को आखिरकार बेल्जियम पुलिस ने मेहुल चोकसी को गिरफ्तार कर लिया। जांच में यह पाया गया कि वह स्विट्ज़रलैंड भागने की फिराक में था। उसके पास बेल्जियम का जाली निवास कार्ड था और उसने अपने भारतीय और एंटीगुआ नागरिक होने की जानकारी छुपाई थी।
क्यों भागना चाहता था मेहुल चोकसी?
रिपोर्ट्स के अनुसार, मेहुल चोकसी बेल्जियम से स्विट्ज़रलैंड भागकर वहां राजनीतिक शरण लेने की कोशिश में था। उसने बेल्जियम में निवास कार्ड पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए और यह दिखाने की कोशिश की कि वह वहां का नागरिक है। दरअसल, उसकी पत्नी प्रीति चोकसी बेल्जियम की नागरिक है, और मेहुल इसी वजह से वहां छुपा बैठा था।
भारतीय जांच एजेंसियों की कड़ी मेहनत
इस गिरफ्तारी के पीछे भारतीय एजेंसियों की सात साल की अनवरत मेहनत है। तीन देशों में जांच-पड़ताल, कानूनी चुनौतियां और राजनयिक समन्वय जैसी मुश्किलें आईं, लेकिन भारत ने हार नहीं मानी।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
भारत ने बेल्जियम सरकार से औपचारिक रूप से प्रत्यर्पण की अपील कर दी है। अब मेहुल चोकसी को भारत लाने के लिए दोनों देशों की न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्यवाही होगी। भारतीय एजेंसियां इसके लिए युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।
कानूनी पेचीदगियां
मेहुल चोकसी की कानूनी टीम ने बेल्जियम में जमानत की अर्जी दाखिल कर दी है और भारत प्रत्यर्पण का विरोध किया है। चोकसी के वकीलों का कहना है कि वह बीमार है और भारत जाकर मुकदमे का सामना नहीं कर सकता। इसके साथ ही, उन्होंने अदालत से अपील की है कि मेहुल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत में चल रहे मामलों में पेश होने को तैयार है।
भारत की स्थिति
भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी हाल में मेहुल चोकसी को भारत लाना चाहती है। ED और CBI के पास मजबूत सबूत और गवाह हैं। यदि प्रत्यर्पण हो जाता है, तो यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक अपराधी प्रत्यर्पण केस होगा।
क्या है इस केस का महत्व?
यह मामला न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित है। इस केस से पता चलता है कि भारतीय एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ने और उन्हें कानून के कटघरे में लाने के लिए कितनी गंभीर और सक्षम हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोग इस खबर पर खुशी जता रहे हैं। जनता का मानना है कि मेहुल चोकसी को जल्द से जल्द भारत लाकर, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ताकि ऐसे घोटालों पर अंकुश लगाया जा सके।
निष्कर्ष
मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों की बड़ी सफलता है। सात साल की अथक मेहनत, अंतरराष्ट्रीय समन्वय और कानूनी रणनीति के दम पर भारत ने यह सफलता हासिल की है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि मेहुल चोकसी कब तक भारत लाया जाएगा और उस पर कानूनी शिकंजा कब कसा जाएगा।