Summary
अपूर्वा मुखीजा को सोशल मीडिया पर मिली रेप और एसिड अटैक की धमकियों के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया। जानिए पूरी खबर, क्या है मामला और कौन लेगा जिम्मेदारी।
सोशल मीडिया पर बेहूदगी की हदें पार: महिलाओं की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ हर व्यक्ति को अपनी बात कहने की आज़ादी है, लेकिन हाल ही में डिजिटल कंटेंट क्रिएटर और इन्फ्लुएंसर अपूर्वा मुखीजा के साथ जो हुआ, उसने इस आज़ादी के खतरनाक पहलुओं को उजागर कर दिया। अपूर्वा को सोशल मीडिया पर रेप, एसिड अटैक और जान से मारने जैसी भयानक धमकियाँ मिली हैं। यह मामला उस समय सामने आया जब उन्होंने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ (IGL) नामक शो में की गई टिप्पणी को लेकर हो रही आलोचना के बीच अपने इंस्टाग्राम पर कई धमकी भरे मैसेज के स्क्रीनशॉट शेयर किए।
इन धमकियों के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने न केवल अपूर्वा की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है—क्या महिलाओं को अपनी राय रखने की स्वतंत्रता सच में सुरक्षित है?
क्या है पूरा मामला?
अपूर्वा मुखीजा, जिन्हें सोशल मीडिया पर ‘द रिबेल किड’ के नाम से जाना जाता है, एक लोकप्रिय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं। उन्होंने हाल ही में इंडियाज गॉट लेटेंट नामक शो में भाग लिया, जहाँ एक सत्र के दौरान उन्होंने एक विवादित कमेंट कर दिया। शो में रणवीर इलाहाबादिया और समय रैना जैसे अन्य कंटेंट क्रिएटर भी मौजूद थे।
शो में की गई टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर भारी आलोचना हुई। अपूर्वा के खिलाफ ट्रोलिंग शुरू हो गई और देखते ही देखते यह विवाद इतना बढ़ गया कि उन्हें सोशल मीडिया पर रेप और एसिड अटैक जैसी जानलेवा धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं। यहाँ तक कि उनके परिवार के खिलाफ भी अपमानजनक बातें लिखी गईं।
धमकियों की गंभीरता: क्या सोशल मीडिया बनता जा रहा है अपराधियों का अड्डा?
अपूर्वा ने जब इन धमकियों के स्क्रीनशॉट इंस्टाग्राम पर साझा किए, तो यह स्पष्ट हो गया कि यह सिर्फ एक ऑनलाइन विवाद नहीं है, बल्कि एक महिला की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला है। उन्होंने लिखा, “ये सिर्फ 1% है, इससे कहीं ज्यादा भयानक संदेश मुझे मिले हैं।” उनके पोस्ट में कुछ यूज़र्स ने खुलेआम एसिड अटैक, रेप और मर्डर की धमकियाँ दी थीं।
इन मैसेजों की भाषा और नीयत से साफ ज़ाहिर होता है कि सोशल मीडिया पर महिलाएं किस कदर असुरक्षित महसूस कर सकती हैं। यह न केवल भारत में साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किसी महिला की स्वतंत्र आवाज़ को कैसे दबाने की कोशिश की जाती है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की सख्त प्रतिक्रिया
NCW ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर के निर्देश पर स्वतः संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र पुलिस को पत्र लिखा गया है। आयोग ने कहा कि:
“हिंसा की धमकियाँ एक खतरनाक उदाहरण पेश करती हैं और इनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। कानून व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सिर्फ जनता की नहीं, बल्कि प्रशासन की भी है।”
आयोग ने महाराष्ट्र के DGP को 3 दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट (Action Taken Report) देने का निर्देश दिया है। साथ ही, अपूर्वा को तत्काल सुरक्षा प्रदान करने के आदेश भी जारी किए गए हैं।
अपूर्वा का बयान: “मैंने अपनी गलती से सीखा है, लेकिन ये नफरत नहीं सही”
इस पूरे विवाद के बीच, अपूर्वा ने एक वीडियो पोस्ट कर अपनी चुप्पी तोड़ी। वीडियो में वह भावुक होकर अपनी बात कहती हैं और यह भी स्वीकार करती हैं कि उनसे शो में गलत शब्दों का प्रयोग हुआ। उन्होंने माफी मांगते हुए कहा:
“मैंने जो कहा, उसके लिए मैं माफी मांगती हूँ। मेरा उद्देश्य कभी किसी को ठेस पहुँचाना नहीं था। मैं बस लोगों को हँसाना चाहती हूँ। मैंने अपनी गलती से बहुत कुछ सीखा है और आगे से अधिक जिम्मेदार रहूंगी।”
लेकिन साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि गलतियाँ सुधारने का अवसर सबको मिलना चाहिए, लेकिन इस तरह की जानलेवा धमकियाँ किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं।
समाज की मानसिकता पर सवाल
इस घटना ने समाज के उस हिस्से को उजागर किया है जो महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके विचारों से डरता है। सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी किसी को भी टारगेट बनाकर उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ने का प्रयास करती है। महिलाओं को अपने विचार रखने पर आज भी धमकियाँ दी जाती हैं, चरित्र हनन किया जाता है और उनके परिवारों तक को निशाना बनाया जाता है।
यह सिर्फ अपूर्वा का मामला नहीं है, बल्कि हर उस महिला की कहानी है जो सोशल मीडिया पर सक्रिय है और खुलकर अपने विचार रखती है। क्या हम ऐसे समाज में रहना चाहते हैं जहाँ किसी की आवाज़ दबाने के लिए उसे जान से मारने की धमकी दी जाती है?
साइबर क्राइम को रोकने के लिए कड़े कदम ज़रूरी
भारत में साइबर सुरक्षा कानून हैं, लेकिन उनके प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे मामलों को प्राथमिकता दें और समय रहते दोषियों को गिरफ्तार करें। फेक अकाउंट्स से भेजी गई धमकियों की पहचान की जाए और सख्त से सख्त सजा दी जाए।
इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को भी ऐसे कंटेंट और यूज़र्स पर नज़र रखनी चाहिए जो हेट स्पीच और साइबर बुलिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।
निष्कर्ष: अपूर्वा मुखीजा का मामला चेतावनी है, अब बदलाव जरूरी है
अपूर्वा मुखीजा को मिली धमकियाँ समाज के उस गहरे अंधेरे को दिखाती हैं जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति की कहानी है जो बिना डर के अपनी बात रखना चाहता है।
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि जब महिला आयोग और जनता एकजुट होती है, तब सिस्टम को भी हरकत में आना पड़ता है। अब समय आ गया है कि हम इस “डिजिटल गुंडागर्दी” के खिलाफ आवाज़ उठाएं और महिलाओं को एक सुरक्षित डिजिटल स्पेस देने के लिए मिलकर काम करें।